अतिथि विद्वान की मौत से पहले ‘आखिरी चिट्ठी’, पत्नी को PF का पैसा परिवार को दी ‘नौकरी’

अतिथि विद्वान की मौत से पहले ‘आखिरी चिट्ठी’, पत्नी को PF का पैसा परिवार को दी ‘नौकरी’





भोपाल । उमरिया जिले के चंदिया में पदस्थ अतिथि विद्वान संजय कुमार ने खुदकुशी कर ली है. अतिथि विद्वान सरकारी कॉलेजों में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर अस्थायी रूप से पढ़ाने का काम करते हैं. संजय कुमार को पिछले आठ महीने से मानदेय नहीं मिला था. सोमवार शाम करीब साढ़े सात बजे संजय ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि सुसाइड नोट में मौत की कोई वजह नहीं बताई है. लेकिन एक मार्मिक लाइन लिखी थी. अतिथि विद्वान की मौत के बाद सियासत इस बात को लेकर हो रही है कि सुसाइड नोट में तनाव का ज़िक्र तो है ही नहीं और मृतक ने खुद को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है।


उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले संजय कुमार अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ उमरिया के चंदिया तहसील में शासकीय महाविद्यालय में क्रीड़ा अधिकारी के पद पर अतिथि विद्वान के तौर पर काम कर रहे थे. उन्हें बीते आठ महीने से मानदेय नहीं मिला था. संजय की पत्नी लालसा के मुताबिक 10वीं में पढ़ रहे बच्चों की स्कूल की फीस जमा करने का पैसा भी नहीं था. रोजमर्रा के खर्च के भी लाले पड़ गए थे. पिछले कई दिनों से संजय इस बात को लेकर तनाव में थे, लेकिन जब वो कुछ देर के लिए घर से बाहर निकली उसी दौरान उन्होंने फांसी लगा ली. लालसा कहती हैं कि अब वे उच्च शिक्षा मंत्री से इस बात का जवाब मांगेंगी. वहीं इस मामले में तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी है. चंदिया तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में संजय की लिखी चिट्ठी को आधार बनाया है।


नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इसे झकझोर देने वाली घटना बताया. उन्होंने कहा कि पिछले दो महीने से अतिथि विद्वान भोपाल में लगातार धरना दे रहे हैं, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है. सरकार की अनदेखी की वजह से अतिथि विद्वान ने खुदकुशी कर ली है. कांग्रेस के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने भार्गव को जवाब देते हुए कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष को राजनीति नहीं करनी चाहिए. सलूजा ने सुसाइड लेटर का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें किसी भी तरह की परेशानी का जिक्र नहीं किया गया है. मृतक संजय कुमार ने सुसाइड नोट लिखा, उसकी मौत का जिम्मेदार वह खुद है. सलूजा ने कहा कि सरकार अतिथि विद्वानों के मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन भार्गव इसे बरगला रहे हैं।


भोपाल में दो महीने से धरना दे रहे हैं अतिथि विद्वान


नियमित करने की मांग को लेकर अतिथि विद्वान भोपाल के यादगारे शाहजहांनी पार्क में पिछले दो महीने से धरना दे रहे हैं. इस धरना स्थल पर बीजेपी और कांग्रेस के कई नेता पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं. खुद उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और सीएम कमल नाथ ने भी कई बार कहा है कि उनरी मांगों का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन आंदोलनकारी धैर्य रखें. मंत्री जीतू पटवारी इस मामले में कह चुके हैं कि किसी भी अतिथि विद्वान को नौकरी से बाहर नहीं किया जाएगा, बल्कि भर्ती परीक्षा में उनके लिए स्थान आरक्षित कर बोनस अंक भी दिए जाएंगे. नियमितिकरण के लिए नियम बनने तक ये व्यवस्था लागू रहेगी।


कौन हैं अतिथि विद्वान ?


अतिथि विद्वान मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम करने वाले लोग हैं. कॉलेज में प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली होने पर गेस्ट फैकल्टी के तौर पर अतिथि विद्वानों को रखा जाता है. इसके लिए उन्हें 1500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है. लेकिन ये राशि हर महीने देने की बजाय कुछ महीने के अंतराल में एकमुश्त अदा की जाती है. क्रीड़ा अधिकारी और लायब्रेरियन के लिए भी अतिथि विद्वानों के जरिए ही काम लिया जाता है. सरकार ने रिक्त पदों के लिए इस तरह की व्यवस्था की थी, लेकिन बीते कई सालों से कॉलेजों में प्रोफेसर पद पर भर्ती ही नहीं की गई और यही स्थायी व्यवस्था बन गया।